14th June '13
तो हम यूहीं चल पड़ें
वापस उसी ओर
जहां से अंधियारी आई
सवेरा भी उसी मोड़
लाल लाल लालिमा
सवेरे का दस्तक देती है
कल कल कलकी चोट
क़दमों को पीछे खीचती है
फिर भी हम यूहीं चल पड़े
कदम से कदम बढ़ाते हुए
दिल की दस्तक को सुनने को
नए सवेरे की ओर
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